Friday 13 July 2018

dohe

 नाव हमारी है अड़ी, बिन लंगर बिन बांध।
हिला सके कोई नही, नीचे इतना गाद।।

देश समेटा नाव में, नैया खेवन हार।
खड़े किनारे देखते , सबको  जाना पार ।।

धन की खेती हो रही ,जनता बनी किसान ।
कटी फसल है भर रही ,नेता के खलिहान।।