कहने को माँ बड़ी प्यारी है
ईश्वर का रूप दुनिया में न्यारी है
बूढ़ी होने पर माँ नहीं सुहाती
पत्नी ही अच्छी जब वह घर में आ जाती
उसकी ही आवाज अच्छी लगती है
माँ तो करेले का रस लगती है
सुबह दिखजाये तो दिन भारी है
कहने को माँ बड़ी प्यारी है
घर को सबने बाँट लिया
अच्छा अच्छा छाँट लिया
माँ के सबने छोड़ दिया
उससे मुँह का मोड़ लिया
बूढ़ी माँ जिम्मेदारी है
कहने को माँ बड़ी प्यारी है
माँ तो बस तभी याद आती है
जब तस्वीर पर माला चढ़ जाती है
जब तक माँ प्यार से पकाती रही
तब तक घर में सुहाती रही
बूढ़ी माँ की एक रोटी भी भारी है
कहने को माँ बड़ी प्यारी है