Monday 9 October 2023

mukriyan

 मुकरियाँ



नैन चलावे नाच दिखावे

नये रूप घर मोहे रिझावे

बैठे रूप निहारे बीबी

क्यों सखि साजन

ना सखि टी वी



टेर सुनूं तो दौड़ी जाऊँ

वाके ढिंग बैठी बतराऊँ

हूक उठे जो है जाये मौन

क्यों सखि साजन 

ना सखि फोन।


prarthna

 प्रार्थना में बहुत ष्षक्ति है वातावरण निर्मल हो जाता है।हृदय में पवित्रता की भगीरथी बहने लगती है। गायत्री मंत्र जीवन की षक्तिष्है

हजारों दीप जलते हैं मगर क्या बात है साथी

उजाला कैद होता है अंधेरे की सियाही में

जला दो दीप निर्मल ज्योति जिसकी इस तरह चमके

बंधे चांद की राखी ष्षारदा मां की कलाई में ।


Sunday 8 October 2023

kshanikayen

 ☺क्षणिकाऐं


श्वेत दीवार पर

लालटेन की रोशनी

टाग दी हो खूंटी पर

चादर एक झीनी।



आंगन के कोने में

घूप का टुकड़ा

नील में भिगोयी

सुखायी हो सफेद चादर



द्वार खोलते ही

तीखी सर्द हवा

घुस आयी ऐसे

अनचाहा मेहमान 


काले बादल बीच धवल बादल का टुकड़ा

सघन कंुतल बीच झांकता गोरी का मुखड़ा










Saturday 7 October 2023

maa

 माँ



सुबह सूरज का उजाला

आंगन में भरने से पहले

आंगन पोछ देती है,

किरणों की उजली चादर

मैली न हो जाए,

माँ

खुद भूखी रहकर

हमारे खाली पेटांे को

भरने का इन्तजाम करती है

तृप्ति भरी आंखो से

सहलाती निहारती है

माँ

दिन चलते दिन चढ़ते जाते

एक एक कर सब बढ़ते जाते

अपने अंधेरे एहसास को,

उजाले से भरने की कोशिश में

और भी अंधेरा करती है

माँ

घुटन से उबरने की चाहत

दीवारों की कैद से

निकल भर जाने की आहट

बेचैन कर देती है पुरुष के,

नफरत की आग में झुलस जाती है

और भी घुट जाती है 

माँ


आंचल के कोने पर आंसू की बूंदों से

अपनी व्यथा लिखती है

उसे उजालों की जरूरत नहीं

अंधेरे कोने में ही कहती है 

मां