शर्म आती है उन आँखों पर देख रहे थे लहराते झंडा पकिस्तान का
कट जाने चाहिए वो हाथ देश मैं लहराया झंडा पकिस्तान का
गले विध जाने चाहिए उनके जिन्होंने गीत गया पकिस्तान का
मुंड लटक जाने चाहिए उनके सलाम किया जिन्होंने पकिस्तान का
इस देश की हवा भी न मिले साँस लेने को
अन्न भी न हो इस देश का उसके आस पास
जो खुली हवा मैं सांस लेने आते हैं इस देश की
इसे कविता नहीं केवल मन का उबाल ही कहना
रह रह कर क्रोध चाहता है कुछ कहना
कैसे करू नमन देश के वीरों को
कैसे धीर धरेंगे खोया है जिन्होंने हीरों को
कट जाने चाहिए वो हाथ देश मैं लहराया झंडा पकिस्तान का
गले विध जाने चाहिए उनके जिन्होंने गीत गया पकिस्तान का
मुंड लटक जाने चाहिए उनके सलाम किया जिन्होंने पकिस्तान का
इस देश की हवा भी न मिले साँस लेने को
अन्न भी न हो इस देश का उसके आस पास
जो खुली हवा मैं सांस लेने आते हैं इस देश की
इसे कविता नहीं केवल मन का उबाल ही कहना
रह रह कर क्रोध चाहता है कुछ कहना
कैसे करू नमन देश के वीरों को
कैसे धीर धरेंगे खोया है जिन्होंने हीरों को