Tuesday 30 August 2016

बसंत

 फूलों सा हंसता हुआ
आता लाल बसंत
छा जाती मनहर छटा
अद्भुत और अनंत

यौवन सा उद्दाम ताप
गर्मी लेती अंगड़ाई
अंधड़ सी अगनाई।

प्रौढ़ अवस्था सी वर्षा ऋतु
बरसाती गगनांगन
ममता आंचल फहराती
आती हरियाली मनभावन।

शरद शिशिर संग संग आती
चलने की अंतिम छाया
झुकती कंधे सिकुड़ी काया
शाीत शहर से ंकंपित काया।

No comments:

Post a Comment