Tuesday 16 June 2020

धुप प्यारी बच्ची सी

  2    धूप प्यारी बच्ची सी
भोर होते ही सूरज की बग्घी से
कूद आती है नन्ही किरन,
गुदगुदाती है मेरे तलुओं को
लिपट जाती है मेरे पैरों से
शैतान बच्ची सी मुझे देखती है
आ बैठती है मेरी गोदी में
खिलखिलाती , खेलती , मुस्कराती है
प्यार से सहलाती है
झूल जाती है गले से
थपथपाती ले लेती है बाहों में
गालों से सटकर बैठ जाती है
भोली बच्ची सी जैसे गुनगुना रही हो
सुनने लगती हंॅूं उसकी मीठी बातें
उसके तन की खुशबू से
अंदर तक महक जाता है मन
घोड़ों की टाप ठहरने लगती है
कूद जाती है पीछे कंधे से
मुड़कर कहती है फिर कल आउंॅगी
दादा से सुनी कहानी सुनाउंॅगी
कल फिर आउंॅगी ।
धूप प्यारी बच्ची सी।

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