Monday 29 June 2020

आप और हम

आप और हम


मेरी और आपकी जिन्दगी के
कुछ पन्ने मिलते हुए हैं
 हम एक दूसरे के सामने खोलेंगे नहीं
क्योंकि घाव रिसते हुए हैं
शायद मेरा घाव  तुम्हारे घाव से
कम गहरा हो उम्मीद तो है
यदि मेरा घाव तुमसे गहरा हुआ तो
नासूर बन दहकता रहेगा
तुम्हारे  आॅंखों की चमक
मेरा रुदन बढ़ा देता है
मेरा सुख इतिहास क्यों हो गया
दिल की जकड़न  बढ़ा देता है
तुम्हारे आगे मेरे बौने पन का एहसास
मुझे आतुर कर देता है
तम्हें बौना बनाने को  छोटा और छोटा
कितना ही छोटा क्यों न होना पड़े
तुम्हारा दुःख मेरे दुःख से कम न हो
 बस मेरा दुःख इसी से हल्का हो जायेगा

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