प्रार्थना में बहुत ष्षक्ति है वातावरण निर्मल हो जाता है।हृदय में पवित्रता की भगीरथी बहने लगती है। गायत्री मंत्र जीवन की षक्तिष्है
हजारों दीप जलते हैं मगर क्या बात है साथी
उजाला कैद होता है अंधेरे की सियाही में
जला दो दीप निर्मल ज्योति जिसकी इस तरह चमके
बंधे चांद की राखी ष्षारदा मां की कलाई में ।
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