नृत्य नटी
नई नई पोषाकों के संग
धरती हंसती आती है
लाल लाल पीले फूलांे की
बालों मंे किलिप लगाती है
लहराती है जब अपना आंचल
हरियाली छा जाती है
नृत्य नटी बन ताली दे दे
अपना नृत्य दिखाती है
नयनों मे मादकता भरकर
काम खिंचा आता है
हरे हरे पीले वस्त्रांे मंे
सजकर प्रकृति रिझाता है
पत्त्ेा देते ताल हवा तब
झूम झूम कर गाती है
उमग उमग कर मंजरिया
धंूघट से बाहर आती हैं।
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