Tuesday 13 September 2016

कुत्ते



 रात का निविड़ अंधकार
वह बैठा है आप के द्वार
सिकुड़ा सिमटा पूंछ दबाये
हर आहट पर कान उठाये
हर पग ध्वनि पर चौंकता
कौन है गुर्राहट में भौंकता
 इधर से उधर चक्कर लगाता
रहता है रात भर जागता
वह आपका चौकीदार है
आपका वफादार है
आपने ही थी एक टुकड़ा रोटी
खाता है दिन में आपकी सोटी
रोटी का कर्ज चुकाता  है
नीम के नीचे सिकुड़ सो  जाते हैं
एहसान फरामोश नहीं है
कुत्ते हैं कुत्ते कहलाते हैं
कहने को जो है इंसान
पर वक्त आने पर कुत्ते बन जाते हैं।




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