Wednesday 14 September 2016

क्षणिकाएं

{
  क्षणिकाऐं

श्वेत दीवार पर
लालटेन की रोशनी
टांग दी हो खूंटी पर
चादर एक झीनी।


आंगन के कोने में
घूप का टुकड़ा
नील में भिगोयी
सुखायी हो सफेद चादर।


द्वार खोलते ही
तीखी सर्द हवा
घुस आयी ऐसे
अनचाहा मेहमान ।

काले बादल बीच
धवल बादल का टुकड़ा
सघन कुंतल बीच
झांकता गोरी का मुखड़ा ।
  




No comments:

Post a Comment