कविमन घुंघरू
Monday 5 September 2016
मान करो
समय चक्र चलता जाये
उसके आगे आओगे
एक बूंद आंसू बोकर तुम
सौ सो आंसू पाओंगे।
बूढ़ों को दर्पण में देखो
अपना चेहरा पाओंगे
उस चेहरे के पीछे पीछे
दूजा चेहरा पाओगे
बूढ़ा बूढ़ा कहकर हमको
अपनो ने ठुकराया
ठोकर तुमको मारेगा
जिसको तुमने है ढुकराया।
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